कवितांचा गाव
Sunday, January 1, 2012
कुसुमाग्रज -- हे सुरांनो चंद्र व्हा
हे सुरांनो चंद्र व्हा
चांदण्यांचे कोष माझ्या
प्रियकराला पोचवा II
वाट एकाकी तमाची
हरवलेल्या मानसाची
बरसुनी आकाश सारे
अमृताने नाहवा II
2 comments:
अश्विनी
January 2, 2012 at 10:20 AM
वा!
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अश्विनी
January 2, 2012 at 10:21 AM
वा!
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वा!
ReplyDeleteवा!
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